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जिस्म से आँखों तक

जिस्म से आँखों तक

जिस्म से आँखों तक यूँ तो मैं बतलाता नहीं पर दोस्तों चुत के गहरायीं में अपने लंड के साथ रहना ही मेरा काम है और इसीलिए मेरा नाम चुतिया ही पड़ गया है | मैं आज आपको नीलम के साथ बिताए

हुए हसीन पलों के बारे में बताना चाहता हूँ | दोस्तों नीलम स्कूल के दिनों से मुझसे एक दोस्त के नाते जुडी हुई थी और अब हम एक कॉलोनी में रहने के कारण हमारी दोस्ती और

बढती चली गयी | हम एक – दूसरे से इतने खुल गए थे की साथ में से हर तरह की बातें कर सकते थे | मतलब जब भी हम एक दूसरे से मिलते तो दूसरे लड़के – लड़कियों को

देख चूतों और लंडों की बात करते पर हमने तब तक इसे बात को सच्चे मन से नहीं लिया जब तक इसे खुद अपने साथ अनुभव ना कर लिया | हुआ यूँ की एक दिन खास मौका

हाथ लगने से मैं नीलम को फोन करके अपने घर बुला लिया क्यूंकि वहाँ कॉलोनी में और कोई लड़का दोस्त नहीं था और ना ही कोई उसका | मैंने तो केवल पूरे दिन के लिए अपने

घर के खाली होने पर उसे मस्ती मारने के लिए बुलाया और कोई खास वजह ना थी | हमने उस दिन दोपहर खूब बातें की और एक साथ चुपके से सुट्टा भी मार लिया |अब मैंने जब

कंप्यूटर पर कुछ गाने चलाये तो याद से पुरानी रखी कामुक फिल्मों को भी चला दिया पर उसका अंजाम कुछ और ही हुआ |

हम दोनों उस वक्त एक दूसरे से चिपक कर बैठे थे और फिल्मे में नंगे लड़के – लड़की को सेक्स करते देख हमारे बदन में अजब सी तरंगें उठने लगी | थोड़ी देर के लिए हम सुन्न ही

पड़ गए और दोनों टीमटिमाते हुए फिल्म देख रहे थे | अचानक से जब होश आया तो नीलम खड़ी होकर सामने की खिडकी के पास जाके खड़ी ओ गयी | मैं अपने आपको वैसा कुछ

भी सोचने से रोक ना पाया | मैंने अपना कंप्यूटर तो बंद कर दिया पर अपनी हवसी नियत को ना रोक पाया और तभी मेरी नज़र नीलम पर पड़ी | मुझे पीछे से उसकी वो गांड के

भंगों का साफ़ उभार धिकायी दे रहा था और उसके नीचे उसकी चिकनी टांगें | पीछे से उसका ब्रा भी हल्का – फुल्का धिकायी पड़ रहा था तभी मैंने ध्यान से देखा तो नीलम शर्म से

गीली हो होकर अपने मुंह नीचे को झुकाए हुए खड़ी थी जिससे साफ़ था की उसके दिमाक में भी यही सब दौड़ रहा था | मैंने वहीँ पीछे से आते हुए फिल्म के हीरो की तरह उसके

हाथ को पकड़ चूमने लगा जिसपर वो गर्म होती हुई अपने होठों के मेरे होठों पर रख दिए |मैंने उसके होठों को अपने होठो में दबा कर चूसना जारी रखा और अपने हाथों से उसके

मुम्मों को सहलाने लगा | मैंने अब नीलम के टॉप को उतार दिया और उसके ब्रा को खोल उसके मुम्मों को पागलों की तरह बिलकुल उस कामुक फिल्म के हीरो की तरह थप्पड़ मारते

हुए चूसने लगा |

मैंने नीलम की उस छोटी सी स्कर्ट को भी उतार दिया और इसे उसकी पैंटी को बड़ी मशक्कत मारते हुए नीचे को कर डाला | नीलम अब हद्द से ज्यादा शरमाने लगी तभी मैंने उसे

अपनी गौद में उठाया और जाकर अंदर वाले कमरे के गद्दे पर लिटाते हुए खुद भी फटाफट नंगा हुआ और वहीँ उसके उप्पर लेटकर उसे होठो चूसता और अपनी छाती से उसके मुम्मों

को दबाता | मेरा लंड उसकी चुत और उसकी चुत के बालों को इर्द – गिर्द टकराता हुआ झूम रहा था तभी मैंने उसकी चुत पर निशाना टिकाया और काफी देर तक थूक लगाते हुए

अपनी ऊँगली उसकी चुत में अंदर बाहर की | अब मेरी बेसब्री इतनी बढ़ चुकी थी की उसकी चुत पर अपने लंड टिकाते हुए जोर का धक्का मारा जिससे मेरा लंड टोप्पे सहित ही

उसकी चुत में अंदर चला गया और वो जोर से चीख पड़ी | मैंने उस वक्त अपने लंड को बहार निकालते हुए सबसे पहले नीलम को प्यार भरी बातों से ठंडा किया |मैं उसे साथ लेटे हुए

पेन्सिल को उसकी चुत में डालते हुए मजाक – मस्ती कर रहा था और हो रही गुदगुदी से उसका दर्द भी काम हो रहा था | कुछ ही देर बाद मैंने अपने उस जोश को फिर बंधाया और

फिर से नीलम को अपने लंड के तले ले आया | वो इस बार डरी हुई थी जहाँ तक की मैं भी डरा हुआ था पर मैंने अपने हाथ का सहारा देते हुए लंड को हलके – हलके से उसकी

चुत में प्रवेश करने लगा |

कुछ १५ मिनट बाद ही अब मैंने कामुक फिल्म के उस हीरो वाली रफ़्तार को पकड़ लिया था और नीलम भी उसी हेरोइन की तरह चिल्ला रही थी | उसके मुंह से पूरा थूक निकल रहा

था पर वो कुछ ना ध्यान देती हुई कभी हँसती और कभी अपनी मम्मी को बुलाते हुए चिल्लाने लगती | मैंने उस रफ़्तार के साथ नीलम की चुत को अपने लंड के झटकों से असहनीय

दर्द दिया पर दोनों उस काम – क्रीडा के वासना में डूबता हुए गाढे रस को छोड़ भी दिया | हम थककर निढाल वहीँ पर सो गए और शाम को अब उठे तो नीलम फ़ौरन कपडे पहन

अपने घर को चली गयी | उस दिन के बाद से हम दोनों का व्यहवार बिलकुल बदल गया और कुछ ही महीनो में हम दोनों प्रेमी – प्रेमिका में बदल ग
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